स्वामी प्रसाद मौर्य ने 'लोक मोर्चा' गठबंधन बनाकर खुद को 2027 यूपी विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है. उनका फोकस ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक पर है. उन्होंने पंचायत चुनाव के माध्यम से जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत करने की योजना बनाई है.
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजनीति में अब एक और नए गठबंधन की एंट्री हो गई है. पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगामी पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए ‘लोक मोर्चा’ नामक एक नया राजनीतिक गठबंधन बनाया है. छोटे-छोटे दलों को मिलाकर बनाए गए इस गठबंधन में स्वामी प्रसाद मौर्य ने खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया है.
स्वामी प्रसाद मौर्य का राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थामा था. हालांकि, सपा में उनकी सियासी पारी ज्यादा लंबी नहीं चली और उन्होंने ‘जनता पार्टी’ के नाम से अपना नया दल बनाया. अब, कई छोटे-बड़े दलों को एकजुट करते हुए उन्होंने ‘लोक मोर्चा’ का गठन किया है, जिसे उत्तर प्रदेश की सियासत में एक ताकतवर तीसरे विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है.
स्वामी प्रसाद मौर्य को चुना गया सीएम कैंडिडेट
लोक मोर्चा की पहली बैठक में सर्वसम्मति से स्वामी प्रसाद मौर्य को 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुना गया. उनके निजी सचिव सज्जाद अली ने बताया कि मौर्य ने पंचायत चुनाव के माध्यम से जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बनाई है, ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव में मजबूत आधार तैयार किया जा सके. इस गठबंधन को लेकर लखनऊ में गुरुवार को स्वामी प्रसाद मौर्य एक प्रेस कांफ्रेंस भी करेंगे.