25 जून, 'संविधान हत्या दिवस'-एक दुखद स्मरण: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

0


*उपराष्ट्रपति ने याद दिलाया- हमारे संविधान का अस्तित्व समाप्त हो गया था*
*आपातकाल के दौरान हमारे मीडिया को बंधक बना लिया गया था*

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज उपस्थित लोगों को एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना आपातकाल की याद दिलाते हुए कहा, "आज मैं एक ऐसी घटना पर विचार कर रहा हूं, सात दिन के भीतर जिसकी एक दुखद वर्षगांठ आ रही है। 1975 में भारत ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से अपनी स्वतंत्रता के 28वें वर्ष में था। यह 25 जून, 1975 की आधी रात थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारत के राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने देश में आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर किए। यह पहली बार हुआ था।"

नई दिल्ली के वाइस प्रेसिडेंट एन्क्लेव में राज्यसभा इंटर्नशिप प्रोग्राम (आरएसआईपी-7) के 7वें बैच के प्रतिभागियों से बातचीत करते हुएउपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, "अब आप समझदार दिमाग वाले हैं। राष्ट्रपति किसी एक व्यक्तिप्रधानमंत्री की सलाह पर काम नहीं कर सकते। संविधान बहुत स्पष्ट है। राष्ट्रपति की सहायता और सलाह के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद है। यह एक उल्लंघन थालेकिन इसका नतीजा क्या हुआइस देश के 100,000 से ज़्यादा नागरिकों को कुछ ही घंटों में सलाखों के पीछे डाल दिया गया।"

लोकतांत्रिक संस्थाओं के पतन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, "लोगों को उनके घरों से घसीटकर बाहर निकाला गया और पूरे देश में जेलों को भर दिया गया। हमारा संविधान खत्म हो गया। हमारे मीडिया को बंधक बना लिया गया। कुछ प्रतिष्ठित अख़बारों के संपादकीय खाली थे।" गिरफ़्तार किए गए लोगों का खौफ़नाक विवरण साझा करते हुए उन्होंने कहा, "और आप जानते हैं, उदाहरण के लिए, ये लोग कौन थे जिन्हें अचानक सलाखों के पीछे डाल दिया गया? उनमें से कई इस देश के प्रधानमंत्री बने - अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई, चंद्रशेखर जी। उनमें से कई मुख्यमंत्री, राज्यपाल, वैज्ञानिक और प्रतिभाशाली लोग बने। उनमें से कई आपकी उम्र के थे।"

न्यायपालिका की भूमिका पर बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, "वह ऐसा समय था जब संकट के समय लोकतंत्र का मूल तत्व बिखर गया था। लोग न्यायपालिका की ओर देखते हैं। देश के नौ उच्च न्यायालयों ने शानदार ढंग से परिभाषित किया है कि आपातकाल हो या न होलोगों के पास मौलिक अधिकार हैं और न्याय प्रणाली तक उनकी पहुंच है। दुर्भाग्य सेसर्वोच्च न्यायालय ने सभी नौ उच्च न्यायालयों के फैसले को पलट दिया और ऐसा फैसला सुनाया जो दुनिया में किसी भी न्यायिक संस्था और कानून के शासन में विश्वास करने वालों के इतिहास में सबसे काला फैसला होगा। फैसला यह था कि यह कार्यपालिका की इच्छा है कि वह जितने समय के लिए उचित समझेआपातकाल जारी रखे।"

"और दूसरी बातआपातकाल के दौरान कोई मौलिक अधिकार नहीं होते। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस भूमिभारतजो कि सबसे पुराना और अब सबसे जीवंत लोकतंत्र हैमें तानाशाहीअधिनायकवाद और निरंकुशता को वैधता प्रदान की। इसलिएआपको इसे याद रखना होगा क्योंकि आप वहां नहीं थे। मैं वहां था।"

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा, "और इसलिएवर्तमान सरकार ने बहुत समझदारी से सोचाऔर 11 जुलाई, 2024 को एक अधिसूचना जारी की गई। और यह एक वैध कारण से था क्योंकि हम अपने गणतंत्र का 75वां वर्ष मना रहे थे। हम 1947 में स्वतंत्र हुए और उसका 75वां वर्ष पहले आया। बाद में भारतीय संविधान को अपनाने के 75वें वर्ष की शुरुआत कर रहे थे। आधिकारिक तौर पर 11 जुलाई, 2024 को एक राजपत्र अधिसूचना द्वारा घोषित किया गया कि 25 जून संविधान हत्या दिवस होगा।"

हमारे गणतंत्र के 75वें वर्ष मेंसरकार ने 11 जुलाई, 2024 को एक गजट अधिसूचना द्वारा आधिकारिक रूप से घोषणा की कि 25 जून को 'संविधान हत्या दिवसके रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कर्तव्यों का स्मरण कराते हुए कहा, "और यह आयोजन एक गंभीर अनुस्मारक है - कि हमें खुद ही लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षक और प्रहरी बनना है। इसलिए, मैं आप सभी से सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने का आग्रह करता हूं। तब आपको लोकतंत्र की कीमत पता चलेगी।"

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू पर जोर देते हुए कहा, “भारत एक ऐसा देश है जो सद्भाव में विश्वास करता हैजिसका अर्थ है कि आप अपनी इच्छाअपने विकल्पअपनी पसंद के अनुसार धर्म का पालन करते हैं। आपको मीठे-मीठे वादोंप्रलोभनों से किसी धर्म की ओर आकर्षित नहीं किया जा सकता। यह भारतीय पहचान की भावना को नष्ट करने की दिशा में एक कदम है। किसी को भी अपनी पसंद का धर्म चुनने का अधिकार है। लेकिन अगर कोई प्रलोभनकोई ऐसी चीज है जो किसी छिपे उद्देश्य के साथ आती है तो यह हमारी सभ्यतागत संपत्तियों के लिए एक चुनौती है। हमारी नींव हिल जाएगीऔर मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि यह बदलाव हो रहा है। प्रत्येक व्यक्ति को इस पर ध्यान देने का अधिकार है और यह कर्तव्य भी है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के महत्व पर विचार करते हुए कहा, "कल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। यह हमारे खजाने से निकला है। इसका उद्गम भारत में हुआ है। यह हमारे शास्त्रों में गहराई से समाया हुआ हैइसका सार है। हमारा अथर्ववेद स्वास्थ्यतंदुरुस्ती और शरीर की देखभाल कैसे करेंइस बारे में ज्ञानकोष है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन में यह विचार आया कि हमें इस अच्छे अभ्यास को पूरी दुनिया के साथ साझा करना चाहिएऔर हमने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की।उन्होंने कहा, "सितंबर 2014 में, जब प्रधानमंत्री ने अपना पहला कार्यकाल शुरू किया था, तब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र में एक स्पष्ट आह्वान किया था। उन्होंने कहा था, और मैं उद्धृत करता हूं, 'योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है'।"

उपराष्ट्रपति ने बताया कि किस तरह दुनिया ने इस दृष्टिकोण को अपनाया। उन्होंने कहा, "दुनिया ने इसे सबसे कम समय में, 75 दिनों के भीतरसबसे बड़ी संख्या में 177 देशों के साथ अपनायाजिन्होंने 11 दिसंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र के संकल्पअर्थात् संकल्प 69/131 पर सहमति व्यक्त कीजिसके तहत 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया। तब सेयह सभी देशों में मनाया जाता है।" उन्होंने अपना निजी अनुभव साझा करते हुए कहा, "मुझे जबलपुर में 9वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर राष्ट्र के मुख्य समारोह में शामिल होने का अवसर मिला। और देश के सबसे बड़े, सबसे जीवंत और सबसे पुराने लोकतंत्र के प्रधानमंत्री को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इसी तरह के कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिला।"

युवा प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा, "युवा साथियोयोग केवल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह तक ही सीमित नहीं है। 21 जून हर किसी के लिए योग के बारे में जानने का केंद्र बिंदु भी है। इसे आपके दैनिक जीवन का हिस्सा होना चाहिए। इसका अभ्यास करना शुरू करें। आप इसे दिन के किसी भी समय में कर सकते हैं। यह आपको राहत देगाआपको हर प्रकार से शुद्ध करेगा और कभी-कभी होने वाली निराशा को आपसे दूर करेगा।"

(Source-PIB, Photo-X)

Tags:

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn more
Ok, Go it!