- प्रदेश में होगी जलक्रांति, सिंचाई रकबा के साथ बढ़ेगा भू-जल स्तर
- 84 हजार 930 से अधिक खेत-तालाब, 1 हजार 283 अमृत सरोवर में एकत्र होगा 25 करोड़ घनमीटर बारिश का पानी
- प्रदेश में मनरेगा योजना से बनाए गए हैं खेत तालाब, डगवेल रिचार्ज, अमृत सरोवर
- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सिंचाई के क्षेत्र में आगे बढ़ता मध्यप्रदेश
भोपाल: मध्यप्रदेश के अन्नदाताओं को जबरदस्त राहत मिलने वाली है। आने वाले दिनों में न उनके खेत पानी को तरसेंगे, न कुएं सूखेंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जबरदस्त प्लान बनाया है। उनके नेतृत्व में प्रदेश सरकार किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। सिंचाई सुविधाओं में विस्तार किया जा रहा है। मनरेगा योजना के अंतर्गत प्रदेश में बड़ी संख्या में खेत-तालाब, डगवेल रिचार्ज और अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। इसमें से खेत तालाब और डगवेल रिचार्ज बनाने का काम पूरा हो गया है, जबकि अमृत सरोवरों का निर्माण कार्य जारी है। खेत-तालाब, अमृत सरोवर और डगवेल रिचार्ज के बनने से प्रदेश में सिंचाई रकबे में बढ़ोत्तरी के साथ भू-जल स्तर में भी वृद्धि होगी। इससे गर्मियों में कुओं के सूखने की समस्या से किसानों को निजात मिलेगी। साथ ही गर्मियों में किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
25 करोड़ घनमीटर एकत्र होगा बारिश का पानी
मनरेगा योजना के अंतर्गत प्रदेश में बड़ी संख्या में बनाए जा रहे खेत तालाब और अमृत सरोवर में 25 करोड़ घन मीटर बारिश का पानी एकत्र होगा। इसका फायदा सीधा किसानों को मिलेगा। प्रदेश में पिछले तीन माह में 84 हजार 930 से अधिक खेत तालाब, 1, 04, 294 से अधिक कुओं को रिचार्ज करने के लिए रिचार्ज पिट बनाए गए। वहीं, 1 हजार 283 अमृत सरोवरों को बनाने का काम जारी है। इससे 1 लाख 67 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।
खेत तालाब, अमृत सरोवर, कूप रिचार्ज पिट को बनाने में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग
प्रदेश में पहली बार खेत तालाब, अमृत सरोवर और कूप रिचार्ज पिट को बनाने में अत्याधुनिक तकनीक (सिपरी सॉफ्टवेयर) का उपयोग किया गया है। इसका परिणाम भी दिखाई देने लगा है। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से खेत तालाब, अमृत सरोवर और डगवेल रिचार्ज के माध्यम से पानी भी जमा होने लगा है। गौरतलब है कि प्रदेश में खेत-तालाब, अमृत सरोवर और रिचार्ज पिट बनाने में मनरेगा परिषद द्वारा सिपरी और प्लानर सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है। प्लानर सॉफ्टवेयर के माध्यम से कार्य योजना तैयार की गई। इसके बाद सिपरी सॉफ्टवेयर की मदद से जगह का चिन्हांकन गया। वैज्ञानिक पद्धति से पता लगाया गया कि पानी की बहाव किस तरफ है। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू किया गया। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि तीन माह में इतनी बड़ी संख्या में खेत तालाब, अमृत और कूप रिचार्ज पिट का निर्माण कराया गया है।