OPINION: खनन क्षेत्र में पारदर्शी नीलामी, केंद्र-राज्य सहयोग, तेजी से मंजूरी पिछले 11 वर्षों के प्रमुख सुधार हैं

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पिछले महीने भारत ने अपने पहले पोटाश ब्लॉक की नीलामी कीजिसका उद्देश्य कृषि उर्वरकों पर आयात निर्भरता को कम करना और इस तरह हमारे देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। हमारी विशाल खनिज संपदा की क्षमता हमारे प्रगतिशील राष्ट्र के हर हिस्‍से को छूती है। इस क्षेत्र में समग्र रूप से उपलब्ध संभावनाओं को साकार करने के लिए पिछले दशक में अभूतपूर्व सुधारों का युग देखा गया हैजो पारदर्शितादक्षता और महत्वाकांक्षा से चिह्नित है।

इस क्षेत्र को पुरानी नीतियों से मुक्त करना तय लक्ष्य की ओर पहला कदम था। क्‍योंकि पुरानी नीतियां निजी उद्यम में बाधा डालती थीं। आजनीलामी व्यवस्था की शुरुआत के बाद से, 500 से अधिक खनिज ब्लॉकों की नीलामी की जा चुकी है। पिछले साल ही 119 ब्‍लॉकों की नीलामी की गई है।

वर्ष 2015 से 2023 के बीच खान एवं खनिज विकास एवं विनियमन अधिनियम (एमएमआरडीएमें किए गए संशोधनों ने एक गतिशील और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी खनन क्षेत्र की नींव रखी है। एमएमआरडीए के ज़रिए हम महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में कदम रख रहे हैंजिसका उद्देश्य हमारी राष्ट्रीयऊर्जा और खाद्य सुरक्षा की त्रिमूर्ति को सुनिश्चित करना हैइसलिए और भी बदलाव होने वाले हैं।

निजी क्षेत्र की जोखिम लेने की क्षमता और चपलता के साथ राज्य की क्षमता में वृद्धि हुई है क्योंकि वे इस यात्रा में एक समान भागीदार के रूप में उभरे हैं। चाहे वह एक समान 50-वर्षीय पट्टेनवीनीकरण की अड़चनों को दूर करनामंजूरी का निर्बाध हस्तांतरण या अन्वेषण लाइसेंस व्यवस्था की शुरुआत होइन सब प्रयासों ने एमएसएमई के लिए जगह बनाई है और स्टार्ट-अप के लिए अवसर पैदा किए हैं। भारत के उद्यमियों के साथ अतीत का अविश्वास अब उनके लिए फलने-फूलने के लिए एक सक्षम वातावरण में बदल गया है।

पूर्वानुमान की शुरुआत

राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट के माध्यम से अभूतपूर्व वित्तीय प्रोत्साहनराष्ट्रीय भूविज्ञान डेटा भंडार पर 12,000 से अधिक भूवैज्ञानिक रिपोर्टों तक लोकतांत्रिक पहुंचड्रोन सर्वेक्षणखनन टेनमेंट प्रणाली और फेसलेस रिटर्न फाइलिंगसभी ने इस क्षेत्र में पूर्वानुमानशीलता और निवेशकों का विश्वास लाया है।

अबराष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) के शुभारंभ के साथभारत महत्वपूर्ण वैश्विक खनिजों की दौड़ में अपना स्थान बनाने के लिए तैयार है।

लिथियमकोबाल्टनिकलदुर्लभ मृदा तत्वों आदि जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के इर्द-गिर्द एक समृद्ध चक्रीय अर्थव्यवस्थाविकसित भारत के लिए आवश्यक लगभग हर क्षेत्र के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।

अपतटीय खनिज खनन में भारत का पहला प्रवेश हमें वैश्विक संसाधन श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित करता है। अर्जेंटीना में लिथियम खदानों के अधिग्रहण और केएबीआईएल द्वारा दुनिया भर में परिसंपत्तियों की खोज के साथहम अपने रणनीतिक संसाधन आधार का विस्तार कर रहे हैं और अपने मिशन उद्देश्यों को और मजबूत कर रहे हैं।

इन प्रयासों की सफलता पूरी तरह से निजी क्षेत्र के साथ अधिक सहयोग पर निर्भर करती हैजो भारत के खनन क्षेत्र की तीव्र वृद्धि में छिपी हुई क्षमता को पहचानते हैं।

पिछले 11 वर्षों में एक और महत्वपूर्ण मोड़ खनन क्षेत्र में सहकारी संघवाद को मजबूत करना रहा हैजो केंद्र-राज्य सहयोग को गहरा करने वाले सुधारों से प्रेरित है। नीलामी प्रणाली के माध्यम सेराज्यों ने नीलामी प्रीमियम और रॉयल्टी के माध्यम से लगभग लाख करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है। समानांतर रूप सेनियमित उच्च-स्तरीय संवादखनन मंत्री सम्मेलन और राज्य खनन सूचकांक और राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट जैसी पहलों के साथ केंद्र-राज्य सहयोग अब तक के सबसे मजबूत स्तर पर है। इसी तरहप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी पहलजिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफट्रस्टों का सफल कार्यान्वयनराज्य प्रशासन के साथ घनिष्ठ समन्वय और सक्रिय प्रयासों पर बहुत अधिक निर्भर करता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम खनन पट्टे से लेकर मंजूरी और परिचालन तक हर चरण में लगने वाले समय को कम करके खदानों के परिचालन में तेजी लाने के लिए मिशन मोड पर काम कर रहे हैं। खान मंत्रालय पूरी यात्रा में उद्योग भागीदारों का सक्रिय रूप से साथ दे रहा है।

स्थानीय इकोसिस्‍टम

एक अन्य महत्वपूर्ण प्राथमिकता खनन क्षेत्र में प्रौद्योगिकी उन्नयन तथा अनुसंधान एवं विकास के लिए एक मजबूत स्थानीय इकोसिस्‍टम का विकास करना है।

इस उद्देश्य के लिएमहत्वपूर्ण खनिजों और पुनर्चक्रण के लिए शोध पर केंद्रित उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। आधुनिक खनन के 62 साल के इतिहास में पहली बारअन्वेषण और खनिज प्रसंस्करण में अनुसंधान और विकास सुनिश्चित करने के लिए स्टार्ट-अप को वित्त पोषित किया गया है।

चूंकि हम विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं और तीसरा स्थान प्राप्त करने की ओर अग्रसर हैंएक आधुनिकटिकाऊ खनन इकोसिस्‍टम भविष्य के उद्योगों को शक्ति प्रदान करेगा तथा भारत को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करेगा। (लेखक जी. किशन रेड्डी, केंद्रीय कोयला और खान मंत्री, Source-PIB)

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